वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) more info के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
पुत्र shiv chalisa lyricsl हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
O Lord, the beloved daughter of Maina with your remaining adds towards your splendid visual appearance. O Wearer on the lion's skin, the trishul within your hand destroys all enemies.
शिव भजन